Tuesday 4 August 2015

साधू शैतान समाज !!!

भारत ऋषि-मुनियों, साधु-संतों का देश है। इस देश में संत समाज ने हमेशा बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। संतों ने ही मानव समाज को ईश्वरीय ज्ञान से जोड़ा, संस्कारों से जोड़ा, जीवन जीने की कला से जोड़ा, विकास की तमाम क्रियाओं प्रक्रियाओं से जोड़ा और सब कुछ इतना अच्छा किया कि पूरा संसार उनकी ओर देखता था। लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए संत का बड़ा ही अच्छा और वैसा ही स्वरूप होना चाहिए जैसा ईश्वर के किसी प्रतिनिधि का होता है। नि:संदेह संत का उद्देश्य सम्पूर्ण संसार होना चाहिए।
सभी लोगों को आनंद मिल जाए, सभी लोग सुखी हों, यदि कोई ऐसा चाहता है और उसके लिए प्रयास करता है तो वैदिक सनातन धर्म में उसे संत कहा गया है। केवल सनातन धर्म में ही नहीं, दूसरी परम्पराओं में भी महान संत हुए हैं। मुस्लिमों में भी एक धारा सूफियों की रही है, जिन्होंने अपना जीवन समाज के हित में बिता दिया।
इस संसार में घर-परिवार, नातेदार, सुख, सम्पत्ति, वैभव सभी कुछ मिलना सहज है, लेकिन दुर्लभ संत समागम यानी संत मिलना कठिन है। आज साधू के वेष में रोज शैतान सामने आ रहे हैं !!!
किसी कवि ने ठीक ही लिखा है—
''रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलियुग आएगा l
योग्यजन तो दुखी रहेंगे, मूर्ख मौज उड़ाएगा !!
अभिमानी, आडम्बर, पाखंड वाला संत यहां कहलाएगा !!
डींग हाकने वाला भाई यहां पंडित कहलवाएगा
भक्ष्य-अभक्ष्य को जो जाने नहि वो जन पूजा जाएगा
उल्टी-सीधी बात कहे वही 'बाबा' कहलायेगा'  !!! "
संतों के कारनामे देख सुनकर पांवों तले की जमीन खिसक जाती है।
कुछ ही दिन पहले यह खुलासा हुआ था कि राजस्थान में नैतिक शिक्षा की किताब में शिष्यों के यौन शोषण के आरोपी आसाराम को महान संत बताया गया है और अन्य महापुरुषों के साथ उसका चित्र भी प्रकाशित किया गया !!!
क्या ऐसी पुस्तके बच्चों को नैतिक शिक्षा दे सकेगी ???
अब त्रिवेणी के पावन संगम में संत समाज ने जिस शख्स को संत परम्परा के सर्वोच्च स्थान महामंडलेश्वर की पदवी दी वह सचिन दत्ता, डिस्को, बीयर बार और रियल एस्टेट के धंधे को सम्भालता रहा है। उनकी रियल एस्टेट कम्पनी के कई प्रोजैक्ट चल रहे हैं। सचिन दत्ता पिछले 20-22 वर्षों से अग्रि अखाड़ा से जुड़ा हुआ था। 13 अगस्त, 2014 को नोएडा में हुए हमले के दौरान एक गोली सचिन दत्ता को भी लगी थी। जब मामला मीडिया में उछला तो संत समाज से जुड़े लोग यही तर्क देते रहे कि 'सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते।' सचिन दत्ता को महामंडलेश्वर बनाने वाले न जाने कितने उदाहरण देते रहे और शब्द जाल गढ़ते रहे।
 'राधे मां' की कहानियां भी चर्चित हो रही हैं, जो खुद को देवी मां का अवतार बताती है !!! इस देश में एक साधारण महिला का 'राधे मां' बनना आश्चर्यजनक नहीं है और न ही सचिन दत्ता का संत बनना कोई आश्चर्यजनक है !!!
सवाल यह उठता है कि एक व्यापारी का संत बनना क्या वास्तव में हृदय परिवर्तन है या आडम्बर !!! यह मुझे महर्षि वाल्मीकि या अंगुलीमाल जैसा मामला तो लगता नहीं। हो सकता है कि सचिन दत्ता का संत बनना व्यापार से भी कहीं अधिक 'बड़ा व्यापार' हो ???
इंसानों को देवता या ईश्वर मानने की परम्परा बहुत पुरानी है ! शायद इस धारणा के तहत ही अवतारवाद के सिद्धांत ने जन्म लिया था, यानी ईश्वर स्वयं मानव रूप धरकर पृथ्वी पर आता है। प्राचीन मानव जिससे डरता था या जिससे लाभान्वित होता था, उसे ही अपना देवता या गुरु मान लेता था। आज के दौर में मनुष्य भौतिकवाद के कारणों से अत्यंत दु:खी और हताश है, किसी का व्यापार चौपट है, कोई बीमारी से परेशान है, कोई कर्ज के बोझ से दबा हुआ है। मनुष्य धर्म में आस्था रखकर किसी की चौखट पर जाता है तो उसे लगता है कि उसे कुछ लाभ होगा, वहीं अपना शीश झुका देता है !!
लोगों की श्रद्धा और आस्था के साथ जिस तरह ढोंगी बाबा खिलवाड़ कर रहे हैं, उसके पीछे भी यही मनोविज्ञान काम कर रहा है। लोग समझ ही नहीं पा रहे कि उनका गुरु गुरु नहीं बल्कि उनके परिवार की इज्जत पर हमला करने वाला राक्षस रूपी मानव है  !! ढोंगी बाबाओं के सैक्स रैकेट तो सामने आते ही रहे हैं !! कोई इच्छाधारी बनकर 'अपनी इच्छाओं' की पूर्ति करता है तो कोई किसी अभिनेत्री के साथ पकड़ा जाता है !! अंध भक्ति में लोग फिर भी इनके पीछे लगे रहते हैं।
अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने संत समाज को आपराधिक तत्वों से मुक्ति दिलाने के लिए सचिन दत्ता और राधे मां के नासिक कुम्भ में भाग लेने पर पाबंदी लगा दी है। अखाड़ा परिषद ने कहा है कि जब तक दोनों आपराधिक मामलों में निर्दोष साबित नहीं होते तब तक उन्हें संत नहीं माना जाएगा !! एक संत को महंगी गाडिय़ों, लाखों के आभूषणों, भव्य महलों की क्या जरूरत है !! कई बाबाओं के विदेशों में भी भव्य आश्रम हैं ! संत समाज को भी चाहिए कि वह अपने भीतर आपराधिक तत्वों की पहचान करे।
हमने देवरहा बाबा को अपने भक्तों को लात मार कर आशीर्वाद देते देखा लेकिन वह मचान पर रहते थे, किसी आलीशान भवन में नहीं। बाबा बनकर बेशुमार दौलत जोडऩा, जनता से छल करना, स्वयं को आलौकिक शक्तियों से लैस बताकर खुद महान बनने का उपक्रम करना अपराध ही है !!
जनता सच को पहचाने और अपने कर्म पर विश्वास करे। तथाकथित महामंडलेश्वरों की महिमा से लोगो को हमेशा सतर्क रहने की जरुरत है l

No comments:

Post a Comment

विषयगत टिपण्णी करने पर आपका बहुत बहुत आभार साधुवाद l
भवर सिंह राठौड