Monday 16 February 2015

बुझा पुछवा कढवा लो जी

बुझाक्ड जी (बुझा या भाव निकालने वाले) सब कुछ जानते हैं पर यह नही बताते की अब क्या करें ???

हमारे गाँव में एक बुझाक्ड जी थे, देवता उनके सर चढ कर बोलता और वो सब कुछ की जानकारी देते थे जेसे की किसी की गुम हुई गाय भैंस की बुझा (पूछा) करने से पहले दुखियारे प्राणी से देवता के प्रति वफादारी और विश्वास की मांग करते थे !! तब अगला हाँ बोलता, तब फिर पूछते कोई संशय (शंका) तो नही है, देवता के प्रति ??  जवाब आता नही महाराज. तब बुझा शुरू करते तुम्हारी गाय घर से निकली खेतों में घास चरने, बोलो सही है न ??  हाँ सही है महाराज. फिर चरते चरते साँझ हो गई , गाय ने घर आने की सोची ,पर हिये की अंधी थी तुम्हारी तरह, रास्ता भटक गई. फिर एक औरत नाम के गाँव में घुसी, कुए पर पाणी पिया, गोबर किया , गोमूत्र भी वही किया और चलदी आगे फिर घास चरने जंगल की और फिर भटक गई, एक पेड़ की ठंडी छाया बैठी नींद आ गयी तुम्हारी तरह, जब आँख खुली तो पाणी पाणी चिल्लाने लगी, अब गाय तुम्हें पुकार रही है, जल्दी जाओ पाणी लेकर वरना पापों के अधिकारी होवोगे, जल्दी जाओ, खड़े हो जाओ, पीछे मुडकर न देखना वरना नरकों में जाओगे !!!

महाराज जाऊँ कहाँ  ?? 
नही बताया बुझाक्ड जी ने भी इसी तरह भारतीय राजनीतिज्ञ भी आज तक यों ही कहते करते रहे की ऐसा कर देंगे, वैसा कर देंगे, जैसा था वैसा का वैसा कर देंगे, करते रहे किन्तु, परन्तु, लेकिन ये नही बताया आज तक भी की अब आखिर करना क्या है ??? 
ताकि जीते जी राहत मिल सके बताओ अब करें तो करे क्या ???

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विषयगत टिपण्णी करने पर आपका बहुत बहुत आभार साधुवाद l
भवर सिंह राठौड