Thursday 23 April 2015

झामरवाडा का अमर शहीद किसान गजेन्द्र

किसान रैली में जिस तरह राजस्थान का दौसा निवासी 'किसान गजेन्द्र'  सरेआम शहीद हो गया, वो किसी भी संवेदनशील इंसान के लिए झकझोर देने वाली घटना है । ..... बड़े शर्म की बात है की उस किसान के फंदे पर झूलने के बाद भी मेरा सवाल इस देश के हर चोर, कपटी और मक्कार नेता से है जिन्होंने देश के अन्नदाता की हालत जानवरों से भी बदतर बना दी है l


 सबसे ज्यादा दर्दनाक बानगी तो यह है की सभी के सभी पापी दल वाले दलदल की तरह गन्दी और ओछी राजनीति करने लग गए है इस पर राजनीती नहीं होनी चाहिए तथा न ही सवाल खड़े होने चाहिए। गजेन्द्र ने सरेआम शहीद की तरह दम तोड़ा है ठीक उसी तरह कुछ माह पहले बेटी निर्भया ने भी ख़ून से लथपथ होकर सड़क किनारे हम सब से मदद की गुहार की थी !!! 
पर देखने वाली बात यह है कि कायरों की यह जमात अब मोमबत्तीयां लेकर सड़क पर निकल रही है !!!

राजस्थान का एक गरीब किसान गजेन्द्र सिंह सरकार की नाकामी से तंग आकर आत्महत्या कर लेता है और राजस्थान सरकार और जो सगठन अपने आपको किसान का मसीहा बताने वाले इस पर सब सभी प्रकार के संघठन चुप है !!
  आप सभी से निवेदन है की एक गरीब किसान को उसका हक दिलवाने के लिए यह जरुर मांग करे और इन सब को समझा दो की जो सरकार हमारी नहीं सुनती है तो हमें सुनना आता है !!! 

शहीद गजेन्द्र सिंह के परिवार के लिए ये मांगे रखी गई है
01. शहीद का दर्जा मिले
02.परिवार में किसी एक को सरकारी नोकरी |
03.उचित मुआवजा मिले |
04.सभी किसानो के हित में जो सरकारी योजनाये है उन का नाम शहीद गजेन्द्र सिंह के नाम से हो 



धन्यवाद राजस्थान पत्रिका का जिसने इस मुद्दे पर बहुत ही अच्छा कटाक्ष किया जरुर पढे पत्रिका में छपा यह लेख---


शर्मनाक संवेदनहीनता की हद भी पार कर दी सबने मिलकर !!
राजस्थान के किसान गजेंद्र की दिल्ली में जंतर मंतर पर मौत के लिए वो तमाम लोग जिम्मेदार हैं जो तमाशबीन बने रहे। राजस्थान के किसान गजेंद्र की दिल्ली में जंतर मंतर पर मौत के लिए सिर्फ प्रधानमंत्री Narendra Modi, राजस्थान की मुख्यमंत्री Vasundhara Raje और दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal ही नहीं बल्क‍ि हमारे जैसे पत्रकार भी जिम्मेदार हैं। जो बचाने के बजाय फोटो और वीड‍ियो बनाने में मशगूल थे। नेताओं से मुझे कोई उम्मीद नहीं है लेकिन हे मेरे पत्रकार साथ‍ियों यार कुछ तो आप भी शर्म किया करो।


 

Saturday 18 April 2015

पासपोर्ट पैन कार्ड बनवाने के लिए जरुरी कागजात

पासपोर्ट पैन कार्ड बनवाने के लिए जरुरी कागजात  निम्न प्रकार है l

ब्लॉग के माध्यम से आम जन हितार्थ जरुरी जानकारी --- विदेश जाने के लिए पासपोर्ट बनवाइए और विदेश में भी अपनी नोकरी या कारोबार फैलाकर और ज्यादा कमाईए !! पासपोर्ट बनवाने के लिए जरूरी कागजात
1. राशन कार्ड              2. वोटर कार्ड
3. शिक्षा सम्बंधित यथा 10वी कक्षा मार्कशीट या जो भी पढाई की है उसकी टी.सी. प्रमाण पत्र।
4. जन्म प्रमाण पत्र (यदि जन्म 1988 से 2013)के मध्य का है।
5. इन सबके अलावा लाइसेन्स, आधार कार्ड, बैंक पासबुक, पैन कार्ड आदि मान्य है।

पैन कार्ड बनवाइए, लोन लेने व पहचान में आसानी पाईए !! पैन कार्ड बनवाने के लिए जरूरी कागजात
1. दो फोटो               2. वोटर कार्ड या लाईसेन्स या राशन कार्ड
3. शिक्षा सम्बंधित यथा 10वी कक्षा मार्कशीट या जन्म प्रमाण पत्र

ज्यादा जानकारीके लिए अग्रलिखित पते पर संपर्क करे l
स्मार्ट वर्ल्ड कंप्यूटर, सैनी काम्पलैक्स, रेल्वे स्टेशन के पास,
मकराना मोबाईल- 9251615727

अन्य स्मार्ट सेवाएं व कोर्सेज: - टैली, ओ लेवल, RS-CIT, मिडिया सर्विसेज, आॅन लाईन फार्म, इन्टरनेट, ई-मेल, स्कैन, हवाई टिकिट, डिस रिचार्ज, जन्म कुण्डली, खतौनी नकल,WESTERN UNION (MONEY TRANSFER), ब्राडबैण्ड़ कनेक्शन, रोजगार सुचना आदि।


देखे मौका चुक न जाए RSCIT सर्टिफिकेट के साथ स्कॉलरशिप पाने का मौका चुक न जाये l  बोर्ड परीक्षा विधार्थि आज ही प्रवेश लेकर अपना स्थान सुरक्षित करे l 

Saturday 11 April 2015

घोर जातिवादी प्रथा नक्सलवाद


घोर जातिवादी मूलनिवासी उर्फ़ नक्सली नस्ल की करतूते !!! :-

ये मूलनिवासी (नक्सली) घोर जातिवादी बनकर आज हमारे देश के लिए पाकिस्तान से बड़ा खतरा बने बेठे है, ये गद्दार हमारे ही देश के जवानों को मारते रहते हैं, आरक्षण और राजनीती के बावजूद सवर्ण – सवर्ण करते नग्न नृत्य करते हैं ! 
इन हरामखोरो को" कितना भी घी पिला दो,  रहने वाले तो नाली के कीड़े ही है इनसे अच्छे तो कुत्ते होते है जो अपने मालिक की सही पहचान रखते है, इन जाहिलों के पास लाखो करोड़ों के हथियार हमारे जवानों को मारने के लिए हैं, पर वही पैसा अपने विकास के लिए, बच्चों को पढ़ाने और नया रोजगार शुरू करने के लिए ये नहीं इस्तेमाल कर सकते !!  
उसके लिए सरकार जिम्मेदार है !!  
ये लुटेरे अब नासूर बन चुके हैं देश के लिए !! 
इन्तेहा हो गई अब तो इन्होने आम लोगों को भी मारना काटना चालू कर दिया है, बस - ट्रेन लूटना, आतंकी हमले करना ! हम और हमारा देश पाकिस्तान या चीन से बाद में निपट लेंगे पहले इनका सफाया करके देश को सुरक्षित करने पर हमे ज्यादा ध्यान देना होगा, क्योंकि इनकी आरती उतारने से, कायदे की बात करने से, इनकी हर बात मानने से ये औकात से बाहर हो गए हैं !!
इन कमीनों ने पाकिस्तान या बांग्लादेश या किसी भी दुश्मन मुल्क से ज्यादा ही हमारे देश का नुक्सान किया है, इतने जवान तो बॉर्डर पर भी शहीद नहीं होते जितने हमारे देश के अन्दर ही ये कमीने हमारे जवानों को ढेर कर देते हैं !!!
आज लोग इन्ही जातिवादी नक्सलियों को भुला भटका भी कहने से नहीं चुकते हैं, जबकि नक्सली हमेशा हर हमला जात देखकर ही करते हैं, कभी भी अपनी जात वालो को नहीं मारते है !!
और ये भी भूल जाते हैं ये गद्दार की जितने सिपाही ये देश में मारते हैं उतने तो कभी बॉर्डर पर भी शहीद नहीं होते है !!

अलकायदा या तालिबान की तरह ये हमारे देश में ही पनप रहे विसेले नाग है, हमे पहले इनसे निपटना ही होगा, वरना ये जिस हक़ हकूक की बात करते हैं, जरा ये या फिर इनका कोई भी चमचा या हितैषी धूर्त नेता यह बताये की आम जनता के लिए बनी बस/ट्रेन में इनका क्या हक़ हकूक है ???  जो ये वहां जाकर लूट-पाट, उत्पात और तबाही मचाते हैं ???  
क्या वहां मौजूद औरतों - बच्चों ने इनका हक़ छीन लिया है ???
देश दुनिया के सब आगे बढ़ रहे पर यह लोग लगे हुए हैं अपनी तिजोरी को भरने में सरकारी संपत्ति को लूट लूटकर !!
ये गरीब भी नहीं कहे जा सकते है, क्यों कि इनके पास हमारे सिपाहियों से ज्यादा आधुनिक हथियार और अन्य विष्फोटक उपकरण हैं !! यदि ये कंगाल होते तो ये कहा से लाते ?? 
ये अगर चाहे तो अपनी बन्दुक व AK47 रायफल बेचकर हर  नक्सली अपनी दूकान खोल सकता है !! पर नहीं इनको मुफ्त की चीज खाने की आदत जो पड़ गयी है !! सरकार ने इनको आरक्षण भी दिया हुवा है,  हर चीज में छूट दिया है, पर ये लोग अपनी ओछी हरकतो से बाज नहीं आते है !! न ही इनके हक़ में बात करने वाले चूजे या इनके सरपरस्त नेता बाज आते है !!
मैंने यह पोस्ट सिर्फ इसलिए लिखा की कुछ करो तो मेहनत और लगन से करो...अपने ही देश में अपने ही लोगों की जान लेकर कौन सा संघर्ष कर रहे गद्दारों??
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छत्तीसगढ़ में नक्सली हमला, सात जवान शहीद"
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में सात जवान शहीद हो गए हैं । हमले में 10 जवान जख्मी भी हो गए हैं। नक्सलियों ने घात लगाकर एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) के जवानों पर हमला किया। इस साल का सुरक्षाकर्मियों पर यह सबसे बड़ा नक्सल हमला है।
मुठभेड़ सुकमा के पिडमेल इलाके में हुई। नक्सलियों ने शनिवार को सुबह 10 बजे घात लगाकर जवानों पर हमला किया। एसटीएफ के जवान तलाशी के लिए निकले थे। नक्सलियों ने फायरिंग कर उन्हें निशाना बनाया।
शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसटीएफ के जवान सुकमा के दोरनपाल इलाके में तलाशी अभियान के लिए निकले हुए थे। इस इलाके में नक्सलियों का बहुत दबदबा है। इसकी सीमा आंध्र प्रदेश से लगी हुई है। तलाशी अभियान के दौरान ही 100 के लगभग नक्सलियों ने उन पर हमला बोल दिया। नक्ललियों ने जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी और जवानों ने भी जवाबी फायरिंग की। यह मुठभेड़ लगभग दो घंटे तक चली।
शहीद जवानों में प्लाटून कमांडर शंकर राव, हेड कॉन्स्टेबल रोहित सोरी और कॉन्स्टेबल मनोज बघेल, मोहन उइके और किरण देशमुख शामिल हैं। एडीजी( नक्सल ऑपरेशन) आरके विज ने कहा, 'सात लोग मारे गए हैं। हमने एक बहादुर प्लाटून कमांडर को भी को दिया है। पूरी डिटेल अभी नहीं आई है।
इससे पहले पिछले साल दिसंबर में भी जवानों पर नक्सलियों का हमला हो चुका है। नक्सलियों ने सीआरपीएफ पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं। इसमें सीआरपीएफ के दो अधिकारियों समेत 13 जवानों की मौत हो गई थी और करीब एक दर्जन सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे। पुलिस सूत्रों का कहना है कि हताहतों की संख्या और बढ़ सकती है। घायल जवानों को इलाज के लिए जगदलपुर भेजा गया है। इसके अलावा अप्रैल, 2010 में नक्सलियों के हमले में 74 जवान मारे गए थे।

Friday 10 April 2015

क्रांतिकारी दौर फेसबुक और व्हाट्सअप का

वाकई फेसबुक और व्हाट्सअप अपने क्रांतिकारी दौर से गुजर रहा है.......
हर नोसिखिया
क्रांति करना चाहता है......
कोई बेडरूम में लेटे लेटे गौहत्या
करने वालों को सबक सिखाने कि बातें कर रहा है तो,
किसी के इरादे सोफे पर बैठे बैठे महंगाई बेरोजगारी या बांग्लादेशियों को
उखाड फेंकने के हो रहे हैं...!
कुछ, हफ्ते में एक दिन नहाने वाले स्वच्छता अभियान की
खिलाफत और समर्थन कर रहे हैं !!
अपने बिस्तर से उठकर एक
गिलास पानी लेने पर नौबेल पुरस्कार कि उम्मीद रखने वाले
बता रहे हैं कि मां बाप की सेवा कैसे करनी चाहिये ।
जिन्होंने आज तक बचपन में कंचे तक नहीं जीते वह बता रहे हैं
कि भारत रत्न किसे और क्यों मिलना चाहीये ??
जिन्हें गली क्रिकेट में इसी शर्त पर खिलाया जाता था कि बॉल
कोई भी मारे पर अगर नाली में गयी तो निकालना तुझे
ही पड़ेगा वो आज कोहली को समझाते पाये जायेंगे की उसे
कैसे खेलना है !
जो महाशय लडकों को भी बुरी नजर से देखते हैं
आज उन्हें नारी सुरक्षा की चिंता है ।
देश में महिलाओं की
कम जनसंख्या को देखते हुये उन्होंने नकली ऑई डी बना कर
जनसंख्या को बराबर कर दिया है !
जिन्हें यह तक नहीं पता
कि हुमायूं बाबर का कौन था वह आज बता रहे हैं कि
किसने कितनों को काटा था !!
कुछ हम जैसे (इसमें मैं भी शामिल हु ) दिन भर शायरीयाँ पेलेंगे जैसे
'गा़लिब' के असली उस्ताद तो यहीं बैठे हैं !!
जो नोजवान एक बालतोड़ हो जाने पर रो रो कर पूरे मोहल्ले में
हल्ला मचा देते हैं वह देश के लिये सर कटा लेने
की बात करते दिखेंगे !
किसी भी पार्टी का समर्थक होने में समस्या यह है कि भाजपा समर्थक को अंधभक्त,
"आप" समर्थक उल्लू तथा काँग्रेस समर्थक बेरोजगार करार दे दिये जाते हैं !!
(बीजेपी वाले तो खैर हैं भी 😜)
कॉपी पेस्ट करनेवालों के तो कहने ही क्या
किसी की भी पोस्ट चेंप कर एेसे व्यवहार करेंगे जैसे
साहित्य की गंगा उसके घर से ही बहती है !!
लेकिन समाज के
असली जिम्मेदार नागरिक हैं टैगिये,
इन्हें एैसा लगता है
कि जब तक यह गुड मॉर्निंग वाले पोस्ट पर टैग नहीं करेंगे तब
तक लोगों को पता ही नही चलेगा कि सुबह हो चुकी है ।
जिनकी वजह से शादियों में गुलाबजामुन वाले स्टॉल पर एक आदमी
खड़ा रखना जरूरी है वो   आम बजट पर टिप्पणी करते हुए पाये जाते हैं...!!
कॉकरोच देखकर चिल्लाते हुये दस  किलोमीटर
तक भागने वाले सीएम, पिएम को धमका रहे होते हैं कि
" अब भी वक्त है सुधर जाओ"।
😄😄😄😄😄
क्या वक्त आ गया है वाकई......

Sunday 5 April 2015

ॐ ओम बन्ना बुलेट वाले बाबा ओम सिंह राठौड़ भोमियाजी महाराज

ओम सिंह राठौड़ से ॐ बन्ना तक की पूरी कहानी !
परिचय
वेसे आज के दिन ॐ बन्ना जेसी शख्क्षियत किसी परिचय की मोहताज नहीं है फिर भी में आप से जिस शख्स के बारे में बताने जा रहा हु वह है "ओम बन्ना" और उन का वह स्थान जिसे आज पुरे राजस्थान ही नहीं पुरे भारत भर में ओम बन्ना, ॐ बन्ना, बुलेट मोटर साईकिल वाले राठौड बन्ना, चोटिला राजा और बुलेट वाले बाबा जेसे कई नामो से जाना जा रहा है और यह ही वह दुर्लभ देव स्थान है जहा ओम बन्ना के साथ साथ बुलेट मोटर साईकिल यानी वाहन से मन्नत मनौती मांगी जाती है !!! 

ओम बन्ना पाली शहर व उक्त देवस्थान के पास ही स्थित चोटिला गांव के मूल निवासी थे | वे ठाकुर जोग सिंह राठौड़ के पुत्र थे जिनका इसी स्थान से जोधपुर व अन्य जगह रोज आना जाना अपनी हर दिल अजीज़ प्रियतम बुलेट मोटर साईकिल से होता रहता था | ॐ बन्ना कही पर भी अपनी बुलेट मोटर साईकिल के अलावा किसी दुसरे वाहन से आते जाते नहीं थे | 

जहां आज "ओम बन्ना" का वह मूल देव स्थान है वहा स्वयं ओम बन्ना  (ओम सिंह राठौड़) ने ही अपनी बुलेट मोटर साईकिल पर जाते हुए 1988 में अष्टमी के दिन एक भयंकर सड़क दुर्घटना में अपनी देह त्याग दी थी |
 
ओम बन्ना का यह स्थान जोधपुर से चलकर अहमदाबाद की और के राष्ट्रिय राजमार्ग संख्या 65 पर जोधपुर शहर से लगभग 45 किमी की दुरी पर मुख्य सड़क पर ही स्थित है यहाँ से पाली जिला मुख्यालय लगभग 20 किमी रह जाता है  | 
राष्ट्रिय राजमार्ग के इस स्थान पर सड़क के किनारे में चढ़ावे व पूजा अर्चना के सामान से सजी धजी दुकाने दिखाई पड़ती है व वही नजर आता है जातरुओ की श्रद्धा से घिरा एक देवस्थल जिसके ऊपर एक विशाल ओम सिंह राठौड़ (ओम बन्ना) की अश्वारुढ प्रतिमा व फोटो लगी है और साथ ही 
 नजर आती दिव्य
अखंड ज्योत जिसमे जातरुओ के चढ़ावे, घर से लाये पकवानों और नारियल आदि को चढ़ाकर भोग लगाया जाता है, साथ में लाई गई फूल मालाओ और पुष्पों को वहा अवस्थित बुलेट मोटर साईकिल नंबर आर अन जे- 7773 पर चढ़ाया जाता है और इसके साथ अपने व अपने प्रियजनों के किसी भी वाहन और दुसरे वाहनों से किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओ के कभी न होने की मन्नत मांगी जाती है | 

क्यों मांगी जाती है बुलेट मोटर साईकिल RNJ- 7773 से मन्नत ???
 
स्थानीय रहवासियों व उनमे आस्था रखने वालो के अनुसार इस स्थान पर पहले हर रोज कोई न कोई वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाया करता था जिस पेड के पास ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना घटी थी उसी जगह पता नहीं कैसे कई वाहन दुर्घटना का शिकार पहले भी हो गए थे, जो हर समय रहस्य ही बना हुवा था | अब तक बहुत सारे लोग इसी जगह दुर्घटना के शिकार बन अपनी जान तक गँवा चुके थे | 
क्या क्या हुवा दुर्घटना के बाद और चमत्कार ??
ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना में मृत्यु के बाद पुलिस कार्यवाही के तहत उनकी इस बुलेट मोटर साईकिल को थाने में ले जाकर खड़ा कर दिया गया, लेकिन दुसरे दिन ही थाने से बुलेट मोटर साईकिल गायब देखकर पुलिस कर्मी हैरान रह गए, सब जगह तलाश करने पर बुलेट मोटर साईकिल फिर वही दुर्घटना स्थल पर ही उन्हें वापस मिलती है |

 पुलिस कर्मीयो द्वारा वापस बुलेट मोटर साईकिल थाने लाई गई लेकिन फिर वही घटना कई बार घटती है, बुलेट मोटर साईकिल थाने में नहीं मिलती है,अंतिम बार बुलेट मोटर साइकिल को लाने के बाद उसमें से पूरा पेट्रोल निकाल लेते और उसको जंजीर की सहायता से बाँध कर पुलिस की चौकसी में रख देते है 
फिर भी हर बार की तरह बुलेट मोटर साईकिल थाने से रात के समय गायब होकर दुर्घटना की जगह अपने आप पहुँच जाती है, सुबह देखने पर वही मिलती है |

 
आखिर करना पड़ा चमत्कार को नमस्कार
 
आखिरकार पुलिस कर्मियों व ओम सिंह राठौड़ के पिता ने ओम सिंह राठौड़ की आत्मा की यही इच्छा समझते हुए उस बुलेट मोटर साईकिल को वही उसी पेड के पास रख दिया गया जहां आज विराजमान है | 
इस तरह इसी चमत्कारीक बुलेट मोटर साईकिल ने स्थानीय रहवासी लोगों को ही नहीं बल्कि यहा के पुलिस थाने के पुलिसकर्मियों को भी चमत्कार दिखाकर आश्चर्यचकित कर दिया और इसी चमत्कार के कारण है आज भी यहा के थाने में कोई भी नया आने वाला पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी चढ़ने से पहले यहा मत्था टेककर आशीर्वाद जरुर लेता है |

उक्त घटना पश्चात रात्रि में कई वाहन चालको को ओम सिंह राठौड़ वाहनों को दुर्घटना से बचाने के उपाय करते व चालकों को रात्रि में दुर्घटना से सावधान करते अकस्मात प्रत्यक्ष ही दिखाई देने लगे | वे उस दुर्घटना संभावित जगह तक पहुँचने वाले वाहन को जबरदस्ती रोक देते है या धीरे कर देते है ताकि उनकी तरह कोई और वाहन चालक असामयिक मौत का शिकार न बने! कई होने वाली दुर्घटनाओ में घटित होने वाले ने यह भी बताया की उसको किसी विशेष व्यक्ति ने उस जगह से एकदम से साईड में कर दिया और उसके पश्चात वह दुर्घटना घटित हुई और उसके बाद से आज तक उस जगह दुबारा कोई भी मानव हानि होने वाली दूसरी दुर्घटना नहीं हुयी है | 

ओम सिंह राठौड़ के न रहने के बाद भी उनकी आत्मा द्वारा इस तरह का नेक कार्य करते देखे जाने पर वाहन चालको व स्थानीय लोगों में उनके प्रति मन में ओर भी श्रद्धा अगाध रूप से बढ़ती गयी और इसी श्रद्धा का नतीजा है कि ओम बना के इस स्थान पर हर वक्त उनकी पूजा अर्चना व मन्नत मनौती के लिए जातरुओ का आना जाना लगा रहता है उस राष्ट्रिय राजमार्ग से गुजरने वाला हर वाहन यहा पर थोड़ी देर रुक कर ओम बन्ना के यहा अपना मस्तक टिका कर, उन्हें नमन करके ही अपने गंतव्य की और आगे बढ़ता है | 
आज पुरे देश व प्रान्त भर से लोग ॐ बन्ना के स्थान पर आकर उनमे अपनी अप्रतिम श्रद्धा प्रकट कर उनसे व उनकी बुलेट मोटर साईकिल नंबर आर अन जे - 7773 से अपने अपनों के लिए मन्नत मनौती मांगते है | 

इसी कारण आज यहा ॐ बन्ना की पूजा अर्चना के साथ साथ उनकी बुलेट मोटर साईकिल की भी पूजा होती है व उस बुलेट मोटर साईकिल से भी मन्नत मनौती मांगी जाती है |
यह थी श्री ॐ बन्ना के बारे में छोटी सी जानकारी जो मुझे ॐ बन्ना के स्थान पर दो बार जाने के पश्चात व उनके पिता श्री जोग सिंह राठौड, अन्य दुसरे ग्राम वासियों और श्री ओम सिंह राठौड के पुत्र श्री महापराक्रम सिंह राठौड से बातचीत कर यह सारी जानकारी मिली जो आपके द्रश्य पटल पर रखी है |
सादर आभार भंवर सिंह राठौड ठिकाना जूसरी

जय श्री ॐ बन्ना ||


Saturday 4 April 2015

एक कङवी सच्चाई शादी व बारात की रात की !!

मै जो यह कह रहा हु वह बहुत जगह या यु कहू ज्यादातर बारात और शादीयो में देखने को मिलता ही रहता है, कुछ ही समय पूर्व मेरा भी एक परिचित की पुत्री के विवाह में जाने का अवसर मिला !! वहा बारात भी किन्ही ऊचें रईसो के यहां से आई हुई थी। बारात के स्वागत और मान मनुवार की व्यवस्था एक बड़ी जगह और गाँव के मध्य में ही की गई थी ।
वह जगह भी गाँव के बीचों बीच थी, शाम को जब मै उनके यहा पहुँचा तो देखा वहा उस विशाल चौक में हर प्रकार की खाने पिने की व्यवस्था की गई है, खूब सारी टेबल्स लगी हुई थी बीच में एक बड़ा मंच जेसा भी बना हुवा था। साज सज्जा और वहा की भव्यता देख कर मन प्रसन्नचित हुए बगैर नहीं रह सका।
अब शुरू होती है महफ़िल की तैयारी जो टेबलोँ पर शुरू होने जा रही थी। करीब 25 मिनट के अंतराल के पश्चात देखता हु तो साफे पहने सब लोग  ड्रिंक्स लेने और पिने पिलाने में मशगुल हो गए थे, कईयो के हाथ मे तलवारें भी थी तो कइयो के चेहरे दमक रहे थे, आपस में बाते कम ही कर रहे थे और हंसने मे मशगुल ज्यादा थे !!
मै भी सब से मिल कर बैठा ही था कि अचानक एक हिजड़े जैसा लगने वाला आदमी मंच पर आया। कुछ सस्ते से शेर सुनाने लगा और अनाउंस करने लगा कि मुम्बई से कोई मशहूर नर्तकिया आने वाली है। देखते ही देखते दो बेडौल सी पूरी तरह  लिपी पुती औरते मंच पर आई। और फिर उन्होंने फ़िल्मी गीतो पर कूल्हे मटका मटका कर नाचना शुरू कर दिया। बेटी के ब्याह में ऐसी व्य्वस्थाये देख कर हर कोई दंग रह  सकता है लेकिन इसमें  मुझे तो कोई अचंभा नहीं हुवा !!!
सभी बन्ना लोग शुरुआत में अकड़े से बैठे थे। कुछ सीधे तो कुछ तिरछी निग़ाहों से लटके झटके देख रहे थे। तेज म्यूजिक की आवाज से आसपास के घर वाले छतो पर चढ़ गए और तमाशा देखने लग गए थे। मुझे लगा कम से कम टेंट तो थोड़ा ऊँचा लगवाया होता तो ये पडोसी इस तरह टुकर टुकर नहीं देखते !! एक दो पैग घुट के अंदर जाने के बाद बन्ना लोग थोड़े नरम पड़े। अब उन सबके मुँह से आह और वाह निकलने लग गई थी !!!
कुछ रणबांकुरे मंच तक भी जा पहुंचे थी और नोट लहरा लहरा कर डांसर को अपनी और बुलाने लगे !!
एक बार उठ कर विदा लेने का विचार आया पर फिर सोचा क्यों न आज इन महान पैसो वाले परिवार के महान सांस्कृतिक कार्यक्रम का नजारा कुछ और देर तक लिया जाए !! डांसर बदलती रही, घटिया शायरी चलती रही, दारू की नदियाँ बहती रही, सामने बाप पीता रहा। टेंट की आड़ में बेटा और घर के भीतर अन्य लोग  !!

सभी लोग बखूबी तरह से ढोंगी परम्पराओ का पालन कर रहे थे !!! कुछ ही देर बाद अकड़ी हुई गर्दने लुढ़कने लगी !! कोट के बटन ढीले होने लगे। झूटी शान ओ शोकत के वही घिसे पिटे दरबारी दोहे सुने और सुनाये जाने लगे !! साफे (स्वाभिमान) पहले पहल सर पर दिख रहा था वो हाथ में आ गये थे, फिर टेंट की कुर्सीयो पर, कुछ को जगह नही मिली तो नीचे जमीन पर पहुंच गए  थे !!!
तलवारे भी वापस गाड़ियों में रखवा दी गयी, अगली शादी फंक्शन तक अब उनका कोई काम नही रह गया था शायद !!

अब बड़े बूढे उठ कर जाने लगे और कइयो को उठा कर ले जाया जाने लगा !! अब तक तो हमारी नई रॉयल पीढ़ी अपने पुरे रंग में आ गई थी !! फिर वासना और भोंडेपन की जो मर्यादाये लांधी गई का वर्णन मेरे द्वारा सम्भव नहीँ !! दारू के गिलास के साथ नोट पकड़ पकड़ कर पता नही कौनसी रीती नीती के तहत एक दूसरे को दारू की मनुहारों का अंतहीन सिलसिला भी चल पड़ा था !! फिर निछरावल का ड्रामा चला, वो उस पर लक्ष्मी बरसाता है तो वो बढ़ चढ कर दुसरे पर !!! कुछ लोग तो नोट को एक दूसरे की खोपड़ी पर इस प्रकार घुमा रहे है कि नोट पर बैठे गांधी को भी चक्कर आ गए होंगे शायद !! फोटो खिंचवाने के लिए बीच बीच में रुक भी जाते थे !! दारू पीकर एक दूसरे की खोपड़ी पर नोट घुमाने और डांसर के असिस्टेंट को देने कि क्रिया बहुत बढ़ सी गयी थी, नोट चुगने वालो से नोट बमुस्किल चुगे भी नहीं जा रहे थे ! मुझे ख्याल आया कि इनमे से एक दो को तो जरूर उधार लेकर घर जाना पड़ेगा क्यों की वो बेहिसाब डांसर पर नोटों की बरसात जो कर रहे थे !!!
एक बार तो लगा शायद इन सबके और पूरी जाती के ही अच्छे दिन आ गए है और कल सुबह से ही खोया हुवा राज काज वापस आने वाला या मिलने वाला है !! डी जे की तेज आवाज में ही मै गहरी श्वास ले वहाँ से निकल पड़ा !! पता नही क्यों जो लोग आसपास से देख रहे थे उनसे निगाह मिलाने की हिम्मत भी नही हो रही थी !! रास्ते में चलते चलते सोच रहा था मेरी जाती वाले बाते तो बड़ी बड़ी करती है !! सब अपने आप को वैदिक काल का क्षत्रिय बताने से नहीं चुकते  है !!!
विवाह जेसे वैदिक संस्कार पर घर के आँगन में वेश्याओ द्वारा नांच गान, उनके संग भांड की तरह नाचना, शराब और मांस का परोसा जाना !!! क्या है यह सब ???
दूल्हा दारू पीकर फेरों के लिए यज्ञ में बैठता है !! ये कैसी परम्पराये है जिन का निर्वहन ये सबसे सभ्य समाज आज कर रहा है और बेहयाई से निभाने की झूटी कोशिसो में लगा हुवा है ???

अपने आपको राम और कृष्ण के वँशज मानने वाले और जीवन जी रहे है कबाईलियों जैसा !!!
या यु कहू काहे के बन्ना, काहे के राजपूत, काहे के क्षत्रिय ???? सब झूट है, सब झूट है, सब झूट है !
उल्टियां करते लोग, धूल में पड़े उनके साफे, डिक्की में पड़ी उनकी तलवारें और अन्य शस्त्र शास्त्र !!!

मै आप सब से पूछना चाहुँगा की क्या यही दिन बाकी रह गये थे, जो हमारे पुरखे अपना सर्वस्व लुटा कर हम जेसो के लिए असमय ही काल कवलित हो गए थे ???

Friday 3 April 2015

दारु शराब पीना और मांस खाना पाप या पुण्य कार्य !!

 मैं जब किसी को बताता हूँ कि मैं क्षत्रिय हूँ लेकिन मांस-मदिरा का उपयोग प्रयोग नहीं करता तो उन्हें बड़ा आश्चर्य होता है तथा उन्हें ये झूठ लगता है और कहते है की आज आप और आपका समाज क्या,  ऐसा कोई समाज नहीं बचा जो इस बीमारी से अछूता रहता हो ???

हमारे क्षत्रिय समाज के बारे में ये धारणा है की राजपूत है तो मांस और मदिरा जरूर प्रयोग करता होगा ? जबकि शाकाहार और मासाहार को अपनाना सबका निजी मामला होता है लेकिन इसमें हम साक्ष्य दे सकते है हमारे पूर्वजो का की वो भी इन सबका प्रयोग नहीं करते थे !!!  

ऐसी धारणाओ को हम ही बदल सकते हैं, केसे ?? समय रहते ही इन बुराइयों और अपने समाज में व्याप्त अन्य कु रीतियों से मुह मोड़कर !! 
हमारे कई साथी कुतर्क देते हैं कि हमारे पूर्वज राजा-महाराजा भी मांस मदिरा का प्रयोग करते थे तो हमें भी करना चाहिए बिना यह जानने कि चेष्टा किये बगैर की उस समय इन वस्तुओ का प्रयोग अगर किया भी जाता था तो क्यूं किया जाता था...???

हमारे पूर्वज अनवरत युद्धों में रत रहते थे उन्हें शारीरिक निरोगता
की ज्यादा जरूरत थी और केवल उस समय दारु (मदिरा) का प्रयोग आज की डीटोल की तरह अपने घाव पर लगाने के लिए दवा के रूप में किया जाता था ! आज की तरह पिने और पिलाने में इसका उपयोग नहीं होता था !!! इस ग़लतफ़हमी में आकर ही अधिकाँश क्षत्रिय समाज अपनी जमीन जायदाद तक को बेच बेच कर जमींदार से जमींदोज हो चूके है !! आज हमें किसी क्षत्रु राज्य पर चढ़ाई नहीं करनी इसलिए हमें शारीरिक बल से ज्यादा मानसिक बल व  निरोगता की ज्यादा जरूरत है जिसकी सहायता से हम समाज में उचित सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकते हैं !!

जो पथभ्रष्ट साथी शराब को राजपूती शान शौकत समझते हैं उन्हें लगता है कि मदिरा और मांस का प्रयोग करके ही शक्तिशाली बना जा सकता है तथा वो बड़े गर्व से सामाजिक मंचों पर भी अपने मदिरापान करते हुए चित्र पोस्ट करते हैं ,वे महाराणा स्वरूप सिँह जी मेवाड के उस चेतावनी राजाज्ञा पत्र को भी अवस्य पढ़ें जिसमे महाराणा ने शराब को गौहत्या के बराबर पाप घोषित किया है ।





इतिहास के झरोखे से। सही (हस्ताक्षरित)

 स्वास्ति श्री महाराजाधिराज महाराणा श्री स्वरूप सिंह जी के आदेशानुसार, श्रीजी (एकलिंग जी) की आज्ञा से पूरे शिशोधा मतलब समस्त शिशोदिया को दारू पीने की मनाही थी और महाराणा श्री अमर सिंह जी (छोटे मतलब द्वित्तीय) ने जब पीना शुरू किया था तब सभी पीने लगे । इसलिए इस पीने से कुफायदा अर्थात नुकसान ही हुआ है और धर्मशास्त्र की मर्यादा में भी दारू पीने को महापाप ही माना गया है ! इसीलिए अब संवत् 1902 , कार्तिक सुदी 9 को कैलाशपुरी पधार कर शराब एवं मद को छोड़ने का संकल्प श्री परमेश्वर के चरणविन्दों में किया है । इसलिए अब समस्त शिशोदिया कुल में इसी क्षण से यदि कोई शराब पियेगा तो , उन लोगों को श्रीजी (एकलिंग जी) की सौगंध है और उन्हें चित्तोड़ हत्या अर्थात देशद्रोह ,और कोटि कोटि गौ मारने की हत्या का अपराध समझा जायेगा । हमारे वंश में फिर दारू पीने का विचार या दूसरे पीने वाले शिशोदिया को यदि सजा नही दी गयी तो ऊपर वर्णित (चित्तोड हत्या और कोटि कोटि गौ हत्या ) की सौगंध है । सभी को श्रीजी का अन्न जल (अर्थात एकलिंग जी के भोग लगे भोजन) को पाने का आदेश दिया जाता है ।

अब तक बचपन से शक्तावत क्षत्रियों को महासती द्वारा शराब की मनाही की बात सुनी थी !! अब यह पुराना राज्यादेश ही नहीं श्रीजी की इच्छा का प्रमाण भी ले मिल गया है और यह भी सही है कि जिस भी सिसोदिया या अन्य किसी भी क्षत्रिय ने शराब का सेवन किया उसका भारी नुकसान के साथ वह जड़ मूल से ख़त्म ही हुआ है !!!

जय श्री एकलिंग नाथ
जय श्री चारभुजा नाथ