Saturday 11 April 2015

घोर जातिवादी प्रथा नक्सलवाद


घोर जातिवादी मूलनिवासी उर्फ़ नक्सली नस्ल की करतूते !!! :-

ये मूलनिवासी (नक्सली) घोर जातिवादी बनकर आज हमारे देश के लिए पाकिस्तान से बड़ा खतरा बने बेठे है, ये गद्दार हमारे ही देश के जवानों को मारते रहते हैं, आरक्षण और राजनीती के बावजूद सवर्ण – सवर्ण करते नग्न नृत्य करते हैं ! 
इन हरामखोरो को" कितना भी घी पिला दो,  रहने वाले तो नाली के कीड़े ही है इनसे अच्छे तो कुत्ते होते है जो अपने मालिक की सही पहचान रखते है, इन जाहिलों के पास लाखो करोड़ों के हथियार हमारे जवानों को मारने के लिए हैं, पर वही पैसा अपने विकास के लिए, बच्चों को पढ़ाने और नया रोजगार शुरू करने के लिए ये नहीं इस्तेमाल कर सकते !!  
उसके लिए सरकार जिम्मेदार है !!  
ये लुटेरे अब नासूर बन चुके हैं देश के लिए !! 
इन्तेहा हो गई अब तो इन्होने आम लोगों को भी मारना काटना चालू कर दिया है, बस - ट्रेन लूटना, आतंकी हमले करना ! हम और हमारा देश पाकिस्तान या चीन से बाद में निपट लेंगे पहले इनका सफाया करके देश को सुरक्षित करने पर हमे ज्यादा ध्यान देना होगा, क्योंकि इनकी आरती उतारने से, कायदे की बात करने से, इनकी हर बात मानने से ये औकात से बाहर हो गए हैं !!
इन कमीनों ने पाकिस्तान या बांग्लादेश या किसी भी दुश्मन मुल्क से ज्यादा ही हमारे देश का नुक्सान किया है, इतने जवान तो बॉर्डर पर भी शहीद नहीं होते जितने हमारे देश के अन्दर ही ये कमीने हमारे जवानों को ढेर कर देते हैं !!!
आज लोग इन्ही जातिवादी नक्सलियों को भुला भटका भी कहने से नहीं चुकते हैं, जबकि नक्सली हमेशा हर हमला जात देखकर ही करते हैं, कभी भी अपनी जात वालो को नहीं मारते है !!
और ये भी भूल जाते हैं ये गद्दार की जितने सिपाही ये देश में मारते हैं उतने तो कभी बॉर्डर पर भी शहीद नहीं होते है !!

अलकायदा या तालिबान की तरह ये हमारे देश में ही पनप रहे विसेले नाग है, हमे पहले इनसे निपटना ही होगा, वरना ये जिस हक़ हकूक की बात करते हैं, जरा ये या फिर इनका कोई भी चमचा या हितैषी धूर्त नेता यह बताये की आम जनता के लिए बनी बस/ट्रेन में इनका क्या हक़ हकूक है ???  जो ये वहां जाकर लूट-पाट, उत्पात और तबाही मचाते हैं ???  
क्या वहां मौजूद औरतों - बच्चों ने इनका हक़ छीन लिया है ???
देश दुनिया के सब आगे बढ़ रहे पर यह लोग लगे हुए हैं अपनी तिजोरी को भरने में सरकारी संपत्ति को लूट लूटकर !!
ये गरीब भी नहीं कहे जा सकते है, क्यों कि इनके पास हमारे सिपाहियों से ज्यादा आधुनिक हथियार और अन्य विष्फोटक उपकरण हैं !! यदि ये कंगाल होते तो ये कहा से लाते ?? 
ये अगर चाहे तो अपनी बन्दुक व AK47 रायफल बेचकर हर  नक्सली अपनी दूकान खोल सकता है !! पर नहीं इनको मुफ्त की चीज खाने की आदत जो पड़ गयी है !! सरकार ने इनको आरक्षण भी दिया हुवा है,  हर चीज में छूट दिया है, पर ये लोग अपनी ओछी हरकतो से बाज नहीं आते है !! न ही इनके हक़ में बात करने वाले चूजे या इनके सरपरस्त नेता बाज आते है !!
मैंने यह पोस्ट सिर्फ इसलिए लिखा की कुछ करो तो मेहनत और लगन से करो...अपने ही देश में अपने ही लोगों की जान लेकर कौन सा संघर्ष कर रहे गद्दारों??
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छत्तीसगढ़ में नक्सली हमला, सात जवान शहीद"
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में सात जवान शहीद हो गए हैं । हमले में 10 जवान जख्मी भी हो गए हैं। नक्सलियों ने घात लगाकर एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) के जवानों पर हमला किया। इस साल का सुरक्षाकर्मियों पर यह सबसे बड़ा नक्सल हमला है।
मुठभेड़ सुकमा के पिडमेल इलाके में हुई। नक्सलियों ने शनिवार को सुबह 10 बजे घात लगाकर जवानों पर हमला किया। एसटीएफ के जवान तलाशी के लिए निकले थे। नक्सलियों ने फायरिंग कर उन्हें निशाना बनाया।
शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसटीएफ के जवान सुकमा के दोरनपाल इलाके में तलाशी अभियान के लिए निकले हुए थे। इस इलाके में नक्सलियों का बहुत दबदबा है। इसकी सीमा आंध्र प्रदेश से लगी हुई है। तलाशी अभियान के दौरान ही 100 के लगभग नक्सलियों ने उन पर हमला बोल दिया। नक्ललियों ने जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी और जवानों ने भी जवाबी फायरिंग की। यह मुठभेड़ लगभग दो घंटे तक चली।
शहीद जवानों में प्लाटून कमांडर शंकर राव, हेड कॉन्स्टेबल रोहित सोरी और कॉन्स्टेबल मनोज बघेल, मोहन उइके और किरण देशमुख शामिल हैं। एडीजी( नक्सल ऑपरेशन) आरके विज ने कहा, 'सात लोग मारे गए हैं। हमने एक बहादुर प्लाटून कमांडर को भी को दिया है। पूरी डिटेल अभी नहीं आई है।
इससे पहले पिछले साल दिसंबर में भी जवानों पर नक्सलियों का हमला हो चुका है। नक्सलियों ने सीआरपीएफ पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं। इसमें सीआरपीएफ के दो अधिकारियों समेत 13 जवानों की मौत हो गई थी और करीब एक दर्जन सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे। पुलिस सूत्रों का कहना है कि हताहतों की संख्या और बढ़ सकती है। घायल जवानों को इलाज के लिए जगदलपुर भेजा गया है। इसके अलावा अप्रैल, 2010 में नक्सलियों के हमले में 74 जवान मारे गए थे।

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भवर सिंह राठौड