Sunday 5 April 2015

ॐ ओम बन्ना बुलेट वाले बाबा ओम सिंह राठौड़ भोमियाजी महाराज

ओम सिंह राठौड़ से ॐ बन्ना तक की पूरी कहानी !
परिचय
वेसे आज के दिन ॐ बन्ना जेसी शख्क्षियत किसी परिचय की मोहताज नहीं है फिर भी में आप से जिस शख्स के बारे में बताने जा रहा हु वह है "ओम बन्ना" और उन का वह स्थान जिसे आज पुरे राजस्थान ही नहीं पुरे भारत भर में ओम बन्ना, ॐ बन्ना, बुलेट मोटर साईकिल वाले राठौड बन्ना, चोटिला राजा और बुलेट वाले बाबा जेसे कई नामो से जाना जा रहा है और यह ही वह दुर्लभ देव स्थान है जहा ओम बन्ना के साथ साथ बुलेट मोटर साईकिल यानी वाहन से मन्नत मनौती मांगी जाती है !!! 

ओम बन्ना पाली शहर व उक्त देवस्थान के पास ही स्थित चोटिला गांव के मूल निवासी थे | वे ठाकुर जोग सिंह राठौड़ के पुत्र थे जिनका इसी स्थान से जोधपुर व अन्य जगह रोज आना जाना अपनी हर दिल अजीज़ प्रियतम बुलेट मोटर साईकिल से होता रहता था | ॐ बन्ना कही पर भी अपनी बुलेट मोटर साईकिल के अलावा किसी दुसरे वाहन से आते जाते नहीं थे | 

जहां आज "ओम बन्ना" का वह मूल देव स्थान है वहा स्वयं ओम बन्ना  (ओम सिंह राठौड़) ने ही अपनी बुलेट मोटर साईकिल पर जाते हुए 1988 में अष्टमी के दिन एक भयंकर सड़क दुर्घटना में अपनी देह त्याग दी थी |
 
ओम बन्ना का यह स्थान जोधपुर से चलकर अहमदाबाद की और के राष्ट्रिय राजमार्ग संख्या 65 पर जोधपुर शहर से लगभग 45 किमी की दुरी पर मुख्य सड़क पर ही स्थित है यहाँ से पाली जिला मुख्यालय लगभग 20 किमी रह जाता है  | 
राष्ट्रिय राजमार्ग के इस स्थान पर सड़क के किनारे में चढ़ावे व पूजा अर्चना के सामान से सजी धजी दुकाने दिखाई पड़ती है व वही नजर आता है जातरुओ की श्रद्धा से घिरा एक देवस्थल जिसके ऊपर एक विशाल ओम सिंह राठौड़ (ओम बन्ना) की अश्वारुढ प्रतिमा व फोटो लगी है और साथ ही 
 नजर आती दिव्य
अखंड ज्योत जिसमे जातरुओ के चढ़ावे, घर से लाये पकवानों और नारियल आदि को चढ़ाकर भोग लगाया जाता है, साथ में लाई गई फूल मालाओ और पुष्पों को वहा अवस्थित बुलेट मोटर साईकिल नंबर आर अन जे- 7773 पर चढ़ाया जाता है और इसके साथ अपने व अपने प्रियजनों के किसी भी वाहन और दुसरे वाहनों से किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओ के कभी न होने की मन्नत मांगी जाती है | 

क्यों मांगी जाती है बुलेट मोटर साईकिल RNJ- 7773 से मन्नत ???
 
स्थानीय रहवासियों व उनमे आस्था रखने वालो के अनुसार इस स्थान पर पहले हर रोज कोई न कोई वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाया करता था जिस पेड के पास ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना घटी थी उसी जगह पता नहीं कैसे कई वाहन दुर्घटना का शिकार पहले भी हो गए थे, जो हर समय रहस्य ही बना हुवा था | अब तक बहुत सारे लोग इसी जगह दुर्घटना के शिकार बन अपनी जान तक गँवा चुके थे | 
क्या क्या हुवा दुर्घटना के बाद और चमत्कार ??
ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना में मृत्यु के बाद पुलिस कार्यवाही के तहत उनकी इस बुलेट मोटर साईकिल को थाने में ले जाकर खड़ा कर दिया गया, लेकिन दुसरे दिन ही थाने से बुलेट मोटर साईकिल गायब देखकर पुलिस कर्मी हैरान रह गए, सब जगह तलाश करने पर बुलेट मोटर साईकिल फिर वही दुर्घटना स्थल पर ही उन्हें वापस मिलती है |

 पुलिस कर्मीयो द्वारा वापस बुलेट मोटर साईकिल थाने लाई गई लेकिन फिर वही घटना कई बार घटती है, बुलेट मोटर साईकिल थाने में नहीं मिलती है,अंतिम बार बुलेट मोटर साइकिल को लाने के बाद उसमें से पूरा पेट्रोल निकाल लेते और उसको जंजीर की सहायता से बाँध कर पुलिस की चौकसी में रख देते है 
फिर भी हर बार की तरह बुलेट मोटर साईकिल थाने से रात के समय गायब होकर दुर्घटना की जगह अपने आप पहुँच जाती है, सुबह देखने पर वही मिलती है |

 
आखिर करना पड़ा चमत्कार को नमस्कार
 
आखिरकार पुलिस कर्मियों व ओम सिंह राठौड़ के पिता ने ओम सिंह राठौड़ की आत्मा की यही इच्छा समझते हुए उस बुलेट मोटर साईकिल को वही उसी पेड के पास रख दिया गया जहां आज विराजमान है | 
इस तरह इसी चमत्कारीक बुलेट मोटर साईकिल ने स्थानीय रहवासी लोगों को ही नहीं बल्कि यहा के पुलिस थाने के पुलिसकर्मियों को भी चमत्कार दिखाकर आश्चर्यचकित कर दिया और इसी चमत्कार के कारण है आज भी यहा के थाने में कोई भी नया आने वाला पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी चढ़ने से पहले यहा मत्था टेककर आशीर्वाद जरुर लेता है |

उक्त घटना पश्चात रात्रि में कई वाहन चालको को ओम सिंह राठौड़ वाहनों को दुर्घटना से बचाने के उपाय करते व चालकों को रात्रि में दुर्घटना से सावधान करते अकस्मात प्रत्यक्ष ही दिखाई देने लगे | वे उस दुर्घटना संभावित जगह तक पहुँचने वाले वाहन को जबरदस्ती रोक देते है या धीरे कर देते है ताकि उनकी तरह कोई और वाहन चालक असामयिक मौत का शिकार न बने! कई होने वाली दुर्घटनाओ में घटित होने वाले ने यह भी बताया की उसको किसी विशेष व्यक्ति ने उस जगह से एकदम से साईड में कर दिया और उसके पश्चात वह दुर्घटना घटित हुई और उसके बाद से आज तक उस जगह दुबारा कोई भी मानव हानि होने वाली दूसरी दुर्घटना नहीं हुयी है | 

ओम सिंह राठौड़ के न रहने के बाद भी उनकी आत्मा द्वारा इस तरह का नेक कार्य करते देखे जाने पर वाहन चालको व स्थानीय लोगों में उनके प्रति मन में ओर भी श्रद्धा अगाध रूप से बढ़ती गयी और इसी श्रद्धा का नतीजा है कि ओम बना के इस स्थान पर हर वक्त उनकी पूजा अर्चना व मन्नत मनौती के लिए जातरुओ का आना जाना लगा रहता है उस राष्ट्रिय राजमार्ग से गुजरने वाला हर वाहन यहा पर थोड़ी देर रुक कर ओम बन्ना के यहा अपना मस्तक टिका कर, उन्हें नमन करके ही अपने गंतव्य की और आगे बढ़ता है | 
आज पुरे देश व प्रान्त भर से लोग ॐ बन्ना के स्थान पर आकर उनमे अपनी अप्रतिम श्रद्धा प्रकट कर उनसे व उनकी बुलेट मोटर साईकिल नंबर आर अन जे - 7773 से अपने अपनों के लिए मन्नत मनौती मांगते है | 

इसी कारण आज यहा ॐ बन्ना की पूजा अर्चना के साथ साथ उनकी बुलेट मोटर साईकिल की भी पूजा होती है व उस बुलेट मोटर साईकिल से भी मन्नत मनौती मांगी जाती है |
यह थी श्री ॐ बन्ना के बारे में छोटी सी जानकारी जो मुझे ॐ बन्ना के स्थान पर दो बार जाने के पश्चात व उनके पिता श्री जोग सिंह राठौड, अन्य दुसरे ग्राम वासियों और श्री ओम सिंह राठौड के पुत्र श्री महापराक्रम सिंह राठौड से बातचीत कर यह सारी जानकारी मिली जो आपके द्रश्य पटल पर रखी है |
सादर आभार भंवर सिंह राठौड ठिकाना जूसरी

जय श्री ॐ बन्ना ||


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भवर सिंह राठौड